UP के मुजफ्फरनगर जिले के चरथावल थाना क्षेत्र में एक नाबालिग दलित लड़की के साथ छेड़छाड़ और उसके परिवार पर हुए जानलेवा हमले ने इलाके को साम्प्रदायिक उन्माद की आग में झोंक दिया है। घटना की जद में आए आरोपितों ने न सिर्फ लड़की को शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया, बल्कि विरोध करने पर पूरे परिवार पर उबलता तेल डालकर उनकी जान लेने की कोशिश की। पीड़िता के अनुसार, “उन्होंने बिजली काट दी और अंधेरे में 25-30 लोगों ने हमें निशाना बनाया।”
मुजफ्फरनगर घटना का सिलसिला: खेलती बच्ची को निशाना
मुजफ्फरनगर गुरुवार, 20 मार्च 2025 की शाम मोहल्ला तिरगारन में रहने वाली नाबालिग लड़की अपने घर के बाहर बैडमिंटन खेल रही थी। तभी बाइक पर सवार दो युवकों—मोनीश और आरिश—ने उसके कंधे पर अचानक हाथ रखकर अश्लील टिप्पणियाँ कीं। लड़की के चिल्लाने पर उसकी बहन और परिवार के अन्य सदस्य मौके पर पहुँचे, लेकिन आरोपित गालियाँ बकते हुए भाग निकले।
शिकायत का साहस और निर्दयी जवाब

अगले दिन पीड़ित परिवार ने आरोपितों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने उनकी हलवा-परांठे की दुकान पर पहुँचा। लेकिन वहाँ पहुँचते ही स्थिति विस्फोटक हो गई। आरोपितों ने अपने परिजनों के साथ मिलकर लड़की और उसके परिवार पर गर्म तेल फेंका और लाठी-डंडों से बेरहमी से पीटा। पीड़िता के पिता ने बताया, “उन्होंने जानबूझकर लाइट बंद कर दी और अँधेरे में हमें घेर लिया। मेरे बेटे और भाई के सिर फट गए।” हमले के दौरान दोनों पक्षों के बीच पथराव भी हुआ, मुजफ्फरनगर जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया।
एफआईआर में उजागर हुए चौंकाने वाले आरोप
लड़की के पिता द्वारा दर्ज शिकायत के अनुसार, आरोपितों ने न सिर्फ उसके निजी अंगों को छुआ, बल्कि धमकी देते हुए कहा, हम तुझे छोड़ेंगे नहीं, तू हमें बहुत अच्छी लगती है| इसके बाद हुए हमले में आरोपितों ने खाटी जैसे जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए गालियाँ बरसाईं और छुरे, लाठी, गर्म तेल जैसे हथियारों से परिवार को निशाना बनाया।
कानूनी कार्रवाई और सामाजिक असर
चरथावल थाने में दर्ज एफआईआर में 11 आरोपितों—मोनीश, आरिश, शहजाद, वसीम, सलमान, समीर, परवेज, आशु उर्फ बहल, कासिम, नाजिम और कुछ अज्ञात लोगों—के खिलाफ आईपीसी की धारा 354, 323, 504, 506, पॉक्सो एक्ट की धारा 3/4, और एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने एक आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि बाकियों की तलाश जारी है।
हालाँकि, पीड़ित परिवार का आरोप है कि शुरुआत में पुलिस ने उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया। वीडियो वायरल होने के बाद ही प्रशासन सक्रिय हुआ। सीओ सदर देवव्रत वाजपेई ने बताया, भारी पुलिस बल तैनात कर स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन इलाके में डर का माहौल बना हुआ है।
समाज पर सवाल, राजनीति पर चुप्पी
यह घटना न सिर्फ महिला सुरक्षा और दलित अधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े करती है, बल्कि साम्प्रदायिक सौहार्द को भी ठेस पहुँचाती है। स्थानीय नागरिक संगठनों ने त्वरित न्याय की माँग करते हुए प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की अपील की है। वहीं, राजनीतिक दलों की चुप्पी भी चिंता का विषय बनी हुई है।
इस मामले में न्याय की उम्मीद तभी बची है जब आरोपितों को कानून का कड़ा दंड मिले और पीड़ित परिवार को सुरक्षा व मुआवजा सुनिश्चित किया जाए। परन्तु, सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या समाज और व्यवस्था ऐसे अपराधियों को पनपने का मौका देते रहेंगे?