परिचय
लेबनान और इसराइल के बीच के संघर्ष ने एक बार फिर से उग्र रूप धारण कर लिया है। 17 सितंबर 2024 को, इसराइल ने लेबनान के दक्षिणी इलाके में कई जगहों पर हिज़बुल्लाह आतंकियों के खिलाफ बड़े हमले किए, जिनमें वॉकी-टॉकी और पेजर उपकरणों को निशाना बनाया गया। इस हमले के दौरान 200 से अधिक लोग घायल हुए और कई हिज़बुल्लाह के आतंकी मारे गए। इसराइल ने हिज़बुल्लाह के संचार साधनों को निशाना बनाते हुए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया, जिससे आतंकियों के पेजर और वॉकी-टॉकी में विस्फोट हो गए। इस घटना ने लेबनान और इसराइल के संघर्ष को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है।
1. इसराइल का हाई-टेक हमला
इसराइल ने हिज़बुल्लाह के संचार नेटवर्क पर हमला करने के लिए अत्याधुनिक साइबर तकनीकों का उपयोग किया। आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे पेजर और वॉकी-टॉकी को निशाना बनाया गया। इन उपकरणों की फ्रीक्वेंसी को हैक करके उनकी बैटरियों को अत्यधिक गर्म कर दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप विस्फोट हुए। यह हमला आतंकियों के खिलाफ एक नई रणनीति के रूप में देखा जा रहा है, जहां सीधे हमले के बजाय उनकी संचार तकनीक को नष्ट करके उन्हें नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
पेजर और वॉकी-टॉकी के इस्तेमाल की वजह हिज़बुल्लाह के आतंकी पेजर और वॉकी-टॉकी का इस्तेमाल इसलिए करते थे क्योंकि यह पुराने और अपेक्षाकृत सुरक्षित संचार साधन माने जाते थे। लेकिन इसराइल की उच्च तकनीकी क्षमताओं ने इन उपकरणों को भी असुरक्षित बना दिया।
‘’कैसे किया गया हमला?: इसराइल के हैकर्स ने पेजर और वॉकी-टॉकी की फ्रीक्वेंसी को ट्रैक किया और इनकी बैटरी को हिट मोड पर डाल दिया, जिससे ये उपकरण स्वतः फटने लगे। इन उपकरणों की बैटरियां विस्फोटक बन गईं और हिज़बुल्लाह के कई आतंकियों की जान चली गई।
2. हिज़बुल्लाह के आतंकियों की भारी क्षति
इसराइल के हमले में हिज़बुल्लाह के आतंकियों को बड़ा नुकसान हुआ। हिज़बुल्लाह के सदस्य एक अंतिम संस्कार में शामिल थे, जहां अचानक उनके पेजर में विस्फोट हो गया। इस घटना से कई लोग घायल हो गए और मौके पर भगदड़ मच गई।
अंतिम संस्कार के दौरान विस्फोट यह हमला उस समय हुआ जब हिज़बुल्लाह के आतंकी अपने एक साथी को दफनाने के लिए अंतिम संस्कार में शामिल थे। पेजर में अचानक विस्फोट हो गया, जिससे वहां मौजूद भीड़ में हड़कंप मच गया। कई लोग जमीन पर गिर पड़े, और बाकी ने जान बचाने के लिए भागने की कोशिश की।
पिछले हमलों से मेल : लेबनान की राज्य न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक, यह हमला पिछले कुछ महीनों में हुए हमलों से मेल खाता है। पिछले अक्टूबर में भी उत्तरी इसराइल से ‘8000 से अधिक रॉकेट ‘दागे गए थे, जिनका असर अब भी दिख रहा है।
3. लेबनान में बढ़ता तनाव
लेबनान की स्थिति पहले से ही अस्थिर थी, लेकिन इन ताजा हमलों ने वहां के माहौल को और भी तनावपूर्ण बना दिया है। लेबनान के दक्षिणी शहरों ‘’नेवटिया, टायर, और सदा’’ में लगातार हमलों की खबरें आ रही हैं। इन हमलों में अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है और 4000 से अधिक लोग घायल हो गए हैं।
हमले के बाद का माहौल: लेबनान के दक्षिणी इलाकों में इसराइल के हमले के बाद माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया है। लोग घबराए हुए हैं और कई इलाकों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
सरकारी प्रतिक्रिया: लेबनान की सरकार ने इन हमलों की कड़ी निंदा की है और कहा है कि यह हमला सीधा लेबनान की संप्रभुता पर हमला है। हालाँकि, इसराइल ने इन हमलों पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से परहेज किया है।
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4. इसराइल का अब तक का रुख
इसराइल ने अपने बचाव में कहा है कि ये हमले हिज़बुल्लाह के खिलाफ थे, जो लंबे समय से लेबनान के दक्षिणी इलाकों से इसराइल पर हमले कर रहा है। हिज़बुल्लाह के आतंकियों ने ”फिलिस्तीन”और ‘‘इसराइल” के संघर्ष के दौरान भी इसराइल पर रॉकेट दागे थे। इसराइल ने यह साफ किया कि वह सिर्फ अपनी सुरक्षा के लिए कार्रवाई कर रहा है।
रॉकेट ‘’हमले और जवाबी कार्रवाई’’ पिछले साल अक्टूबर में हिज़बुल्लाह ने उत्तरी इसराइल पर 8000 से अधिक रॉकेट दागे थे, जिसके बाद इसराइल ने लेबनान पर कई जवाबी हमले किए। इन हमलों से इसराइल को भारी नुकसान हुआ था और इसके बाद से इसराइल ने हिज़बुल्लाह के ठिकानों पर कड़ा जवाब देना शुरू कर दिया।
5. लेबनान में राजनीतिक संकट
इन हमलों के बाद लेबनान के अंदर राजनीतिक अस्थिरता भी बढ़ रही है। लेबनान पहले से ही आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहा था, और अब इन हमलों ने वहां के हालात को और बदतर बना दिया है। लेबनान की सरकार के सामने अब अपनी सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को संतुलित करने की चुनौती खड़ी हो गई है।
अंतरराष्ट्रीय संबंध: लेबनान के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करना है, खासकर अरब देशों और पश्चिमी देशों के साथ। जबकि इसराइल की तरफ से आए इन हमलों ने लेबनान की स्थिति को और कठिन बना दिया है।
6. मुस्लिम देशों की प्रतिक्रिया
इसराइल और लेबनान के बीच इस संघर्ष में अन्य मुस्लिम देशों की प्रतिक्रिया भी महत्वपूर्ण है। मुस्लिम देश इसराइल के खिलाफ लामबंद होते जा रहे हैं और इसराइल पर कड़ा रुख अपनाने की बात कर रहे हैं। हालांकि, अब तक कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया है।
अरब देशों का रुख: अरब देशों ने इसराइल के इन हमलों की निंदा की है, लेकिन इसके बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। फिलहाल, मुस्लिम देश कूटनीतिक रास्ते से इस मसले को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इसराइल का कड़ा रुख उन्हें असमंजस में डाल रहा है।
7. अमेरिका की भूमिका
इसराइल के मुख्य सहयोगी ‘’अमेरिका’’ ने अभी तक इन हमलों पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालाँकि, अमेरिका इसराइल को आर्थिक और सैन्य सहायता देता रहा है, लेकिन हाल के समय में मुस्लिम देशों के बढ़ते दबाव के कारण अमेरिका की स्थिति भी जटिल हो गई है।
अमेरिका-इसराइल संबंध: अमेरिका लंबे समय से इसराइल का समर्थन करता रहा है, लेकिन फिलहाल, अमेरिका की प्राथमिकता इस क्षेत्र में शांति बनाए रखना है। अमेरिकी विदेश नीति इसराइल और मुस्लिम देशों के साथ संतुलन बनाने की कोशिश कर रही है।
8. निष्कर्ष
लेबनान और इसराइल के बीच जारी यह संघर्ष न केवल इन दोनों देशों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि यह पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र में अस्थिरता का कारण बन सकता है। **हिज़बुल्लाह** के खिलाफ इसराइल के इस ताजा हमले ने साबित कर दिया है कि इस संघर्ष का अंत निकट नहीं है।
आगे की राह कूटनीतिक बातचीत और अंतरराष्ट्रीय समर्थन पर निर्भर करेगी, लेकिन फिलहाल इस क्षेत्र में शांति की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। मुस्लिम देशों की एकजुटता और अमेरिका की भूमिका इस संघर्ष को कैसे मोड़ेगी, यह आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा।