उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिले के कटेहरी उपचुनाव ने राजनीति बदल दी। समाजवादी पार्टी (सपा) का गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जीत हासिल की। भाजपा के लिए ऐतिहासिक मोड़ साबित हुए इस उपचुनाव में सपा की सारी रणनीतियां विफल रहीं। भाजपा यह चुनाव रिकॉर्ड बना सकती है।
इस बार भाजपा ने पकड़ी शुरुआती मैं ही बढ़त बना ली
कटेहरी उपचुनाव में मतगणना की शुरुआत से ही भाजपा ने सपा पर बढ़त बनानी शुरू कर दी थी। मतगणना की शुरुआत सपा सांसद लालजी वर्मा के गढ़ माने जाने वाले टांडा ब्लॉक से हुई। हालांकि, भाजपा प्रत्याशी धर्मराज ने पहले राउंड से ही बढ़त बनाकर सपा खेमे में खलबली मचा दी। और यह कार्रवाई जारी रही। सुबह 10:00 बजे तक स्थिति स्पष्ट हो गई। लालजी वर्मा ने अपने करीबियों को बता दिया था कि खेल उनके नियंत्रण से बाहर हो गया है।
सपा की संक्षिप्त लड़ाई
पहले कुछ राउंड में भाजपा द्वारा बढ़त लेने के बाद सपा ने चौथे और सातवें राउंड के बीच रैली करने का प्रयास किया। इस दौरान सपा ने अपनी बढ़त को 3,000 से अधिक वोटों से बढ़ाया। हालांकि, यह बढ़त अल्पकालिक थी।
ग्यारहवें राउंड तक सपा की बढ़त घटकर मात्र 766 वोट रह गई, जिसके बाद भाजपा ने अच्छी खासी बढ़त हासिल करना शुरू कर दिया। भाजपा ने 12वें राउंड में लगभग 1,000 वोटों की बढ़त हासिल की और उसके बाद अंतर लगातार बढ़ता रहा।
33,000 वोटों के अंतर से ऐतिहासिक जीत
31 बार की मतगणना के बाद, भाजपा 33,000 वोटों से विजयी हुई। यह अंतर दर्शाता है कि भाजपा ने सपा के गढ़ में कितनी अच्छी तरह से पैठ बनाई है। प्रारंभिक विश्लेषण में, भाजपा अधिकारियों ने 8,000-10,000 वोटों के अंतर से जीत का अनुमान लगाया था, लेकिन अंतिम परिणाम सभी अनुमानों से अधिक थे।
- सपा की योजनाओं की विफलता
- सपा सांसद लालजी वर्मा कटेहरी विधानसभा सीट से आते हैं। यहां उनकी पकड़ मजबूत नजर आती थी और हाल के चुनावों में उनकी सफलता का श्रेय काफी हद तक टांडा ब्लॉक से मिली बढ़त को जाता है। हालांकि, इस बार सपा की कोई भी रणनीति सफल नहीं हुई।
- स्थानीय मुद्दों की अनदेखी: सपा ने स्थानीय मतदाताओं की प्राथमिकताओं को गलत तरीके से आंका।
- भाजपा का जोरदार प्रचार: क्षेत्र की सांगठनिक ताकत और विकास के स्तर के आधार पर भाजपा ने सपा की नींव को कमजोर कर दिया।
- लालजी वर्मा की कमजोर पकड़: हालांकि सांसद का गृह जिला भी यहीं है, लेकिन मतदाताओं को प्रभावित करने में उनकी रणनीति कारगर नहीं रही।
इस जीत से भाजपा को क्या फायदा होगा?
इस जीत की बदौलत अब भाजपा को अगले चुनावों में मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल है। यह परिणाम दर्शाता है कि भाजपा न केवल मतदाताओं का विश्वास जीता है, बल्कि सपा के गढ़ में भी सेंध लगाने में सफल रही है।
निष्कर्ष
कटेहरी उपचुनाव के नतीजे ने उत्तर प्रदेश की राजनीति को एक नई दिशा दी है। यह जीत न केवल भाजपा के लिए मील का पत्थर है, बल्कि सपा के लिए भी आत्ममंथन का समय है। सपा को अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करना होगा, अन्यथा उसके पारंपरिक गढ़ भी भाजपा के कब्जे में आ सकते हैं।