राहुल गांधी के आरोप और चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
7 अगस्त 2025 को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर चुनाव आयोग (ECI) और भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए। उनका दावा था कि कर्नाटक के बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा के अंतर्गत आने वाले महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर वोटर लिस्ट में हेरफेर हुई है, जिससे चुनावी परिणाम प्रभावित हुए।
राहुल गांधी के मुख्य आरोप
राहुल गांधी ने अपनी टीम द्वारा छह महीने की मैनुअल जांच के बाद तैयार किया गया एक विस्तृत प्रेज़ेंटेशन पेश किया। उनके अनुसार, महादेवपुरा में निम्नलिखित अनियमितताएं पाई गईं—
- 11,965 डुप्लिकेट वोटर एंट्री
- 40,009 फर्जी या अस्तित्वहीन पते (गलत घर नंबर, काल्पनिक पिता का नाम आदि)
- 10,452 ऐसे पते जहां असामान्य रूप से बड़ी संख्या में वोटर पंजीकृत (जैसे, एक कमरे में 80 वोटर)
- 4,132 वोटरों की अमान्य या गायब तस्वीरें
- 33,692 मामलों में फॉर्म-6 का कथित दुरुपयोग (बुज़ुर्ग लोगों को नए वोटर के रूप में दिखाना)
- कई लोगों के नाम एक साथ कर्नाटक, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की वोटर लिस्ट में पाए गए
राहुल गांधी का कहना है कि इन गड़बड़ियों के कारण भाजपा को महादेवपुरा में लगभग 1,14,000 वोटों की बढ़त मिली, जिससे कांग्रेस को अन्य 6 विधानसभा क्षेत्रों में मिली बढ़त निष्प्रभावी हो गई।
राहुल गांधी की थ्योरी चुनाव आयोग
उनके मुताबिक यह कोई प्रशासनिक गलती नहीं, बल्कि “सिस्टमेटिक वोट चोरी” है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग भाजपा के साथ मिलकर वोटर लिस्ट में हेरफेर कर रहा है ताकि चुनावी जीत सुनिश्चित हो सके।
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी से कहा कि यदि उनके आरोप सही हैं, तो वे गलत तरीके से जोड़े गए या हटाए गए वोटरों की पूरी सूची, संबंधित विधानसभा क्षेत्र, सीरियल नंबर और प्रमाणपत्र (Rule 20(3)(b) के तहत शपथपत्र) के साथ सौंपें।
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि ऐसे आरोप झूठे साबित होते हैं, तो राहुल गांधी को देश से माफी मांगनी चाहिए।
इसके अलावा, चुनाव आयोग ने यह भी जोड़ा कि—
- वोटर लिस्ट या चुनाव परिणाम को चुनौती देने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर करनी चाहिए, न कि केवल मीडिया बयानों या प्रेस कॉन्फ़्रेंस के ज़रिए।
- कर्नाटक ही नहीं, महाराष्ट्र और हरियाणा में भी मुख्य चुनाव अधिकारियों ने राहुल गांधी से यही औपचारिक जानकारी मांगी है।
अवैध वोटरों का मुद्दा और राजनीतिक पृष्ठभूमि
भारत में लंबे समय से अवैध प्रवासियों का मुद्दा राजनीतिक बहस का केंद्र रहा है। कई राज्यों में यह आरोप लगता रहा है कि पड़ोसी देशों—पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल—से आए लोग फर्जी दस्तावेज़ बनवाकर मतदाता सूची में नाम दर्ज करवाते हैं। इन मामलों में पहचान करना मुश्किल हो जाता है क्योंकि कई लोग वर्षों से भारत में रह रहे होते हैं और स्थानीय स्तर पर घुल-मिल जाते हैं।
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे वोट बैंक को लेकर दलों की रणनीति भी अलग-अलग रहती है। पश्चिम बंगाल में यह कहा जाता है कि ममता बनर्जी की सरकार इन प्रवासियों के प्रति नरम रुख अपनाती है, जबकि असम, बिहार और उत्तर प्रदेश में ऐसे मामलों की जांच के लिए विशेष अभियान चलाए जाते हैं।
निष्कर्ष
महादेवपुरा का यह मामला केवल एक विधानसभा क्षेत्र का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह पूरे देश में चुनावी पारदर्शिता और मतदाता सूची की शुद्धता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। अब देखना होगा कि राहुल गांधी अपने आरोपों के समर्थन में ठोस सबूत चुनाव आयोग को सौंपते हैं या यह विवाद केवल राजनीतिक बयानबाज़ी तक सीमित रहता है।
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