हाथरस हत्याकांड में पुलिस ने सीसीटीवी तस्वीरों से नए सबूत मिलने का दावा किया है। पुलिस का कहना है कि सीसीटीवी कैमरे की टाइमलाइन अपडेट नहीं थी। घटना के समय आरोपी कैमरे में तौलिया पकड़े हुए दिखाई दे रहा था। पुलिस ने 23 दिसंबर को कोर्ट में 436 पन्नों की रेट शीट दाखिल की।
सीसीटीवी फुटेज से खुलासा
सीसीटीवी तस्वीरों में देखा गया कि घटना की तारीख 23 सितंबर थी, लेकिन कैमरे में 17 सितंबर दिख रही थी। पुलिस ने इसे तकनीकी खामी बताया। तस्वीरों में एक व्यक्ति बच्चे को पालने से उठाकर ले जाता हुआ दिखाई दे रहा है। इसके अलावा कैमरा नंबर चार में आरोपी तौलिया फेंकता और उसे उठाकर हाथ में लपेटता हुआ भी दिखाई दे रहा है।

आरोपी का बयान
आरोपी ने पुलिस को बताया कि 22 सितंबर की रात सभी छात्र हॉस्टल के हॉल में सो रहे थे। मौका देखकर वह छात्र कृतार्थ के पास गया और उसके गले में तौलिया कस दिया। कुछ देर दर्द से कराहने के बाद कृतार्थ शांत हो गया। सुबह प्रिंसिपल ने कृतार्थ को जगाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं उठा।

पुलिस पर गंभीर आरोप
कृतार्थ के पिता श्रीकृष्ण ने पुलिस पर पैसे लेकर केस बदलने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने पहले आरोपी छात्र को बुलाकर पूछताछ की, फिर उसे छोड़ दिया और अब उसे फिर से आरोपी बना दिया गया है।

संदिग्ध कार्रवाई और सवाल
प्रारंभिक जांच में पुलिस ने कॉलेज प्रबंधक, मुख्य और शिक्षकों को जेल भेज दिया था। तीन महीने बाद पुलिस ने अपनी ही जांच को झूठा करार दिया। सवाल उठ रहे हैं कि पुलिस ने बिना पुख्ता सबूतों के कार्रवाई क्यों की।
पुनः अनुसंधान के आदेश
पुनः अनुसंधान में बच्चों व अन्य गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं। सीसीटीवी फुटेज की गहनता से जांच की गई। इसके बाद कक्षा 8 के छात्र को आरोपी घोषित किया गया।
प्रबंधन का विचार
सीओ सादाबाद हिमांशु माथुर ने कहा, “मामले की पुनः जांच की गई है। आरोप पत्र में दिए गए प्रत्येक तथ्य का अध्ययन किया गया है। पुलिस पर लगाए गए आरोप निराधार हैं। पीड़ित पक्ष न्यायालय की शरण ले सकता है।”
क्या अब न्याय मिलेगा?
इस स्थिति ने पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिवार के सदस्यों व आस-पास के लोगों की मांग है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और दोषियों को कड़ी सजा मिले।
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