हाथरस में एक सत्संग कार्यक्रम के दौरान मची भगदड़ में 124 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि सैकड़ों लोग घायल हो गए। इस हृदय विदारक घटना ने पूरे क्षेत्र को शोक में डुबो दिया है। इस सत्संग का आयोजन ‘भोले बाबा’ उर्फ बाबा नारायण हरि के संगठन द्वारा किया गया था। इस दुर्घटना में सात बच्चे और 100 से अधिक महिलाएं अपनी जान गंवा चुकी हैं। सत्संग स्थल पर फैली लाशों और बिखरे सामानों ने इसे एक श्मशान घाट जैसा बना दिया है।
भगदड़ कैसे मची?
यह हादसा मंगलवार दोपहर को उस समय हुआ जब बाबा नारायण हरि का काफिला सत्संग स्थल से निकल रहा था। उनके अनुयायियों में उनके चरण धूल लेने की होड़ मच गई, जिससे अफरा-तफरी मच गई। खेतों में पानी और कीचड़ भरा हुआ था, जिसमें भागने की कोशिश में कई श्रद्धालु गिर गए और भीड़ में दबते चले गए। महिलाओं और बच्चों के मुंह और नाक में कीचड़ भर गया था, जिससे दम घुटने और कुचलने से अधिक मौतें हुईं।
भयावह मंजर
घटना स्थल पर फैले चप्पल-सैंडल, पर्स, और मोबाइल फोन, और खेतों में लोगों के पैरों के निशान इस भयानक मंजर की गवाही दे रहे थे। सड़क किनारे लगे चप्पल-सैंडल के ढेर को लोग देखकर हतप्रभ थे। भगदड़ के बाद हाईवे के पास कीचड़युक्त खेत में तमाम लोग गिर गए और उनके ऊपर से भीड़ गुजर गई।
राहत और बचाव कार्य
हादसे के बाद आसपास के ग्रामीणों ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किया। उन्होंने प्रशासन को सूचना दी, जिसके बाद घायलों और शवों को जो भी वाहन मिला, उससे सिकंदराराऊ के ट्रामा सेंटर और एटा के मेडिकल कॉलेज भेजा गया। लेकिन वहां की तैयारियां भी अपर्याप्त थीं।
चिकित्सा व्यवस्था की कमी
हादसे के बाद सिकंदराराऊ स्थित ट्रॉमा सेंटर पूरी तरह तैयार नहीं था। वहां न बिजली थी, न ही पर्याप्त चिकित्सक और स्टाफ। ऑक्सीजन की भी कमी थी। बदहवास हालत में पहुंचे घायलों को ऑक्सीजन की जरूरत थी, लेकिन वह भी नहीं मिल पाई। बिजली न होने के कारण कमरे अंधेरे में थे और पंखे बंद पड़े थे। एंबुलेंस से आए घायलों को तत्काल उपचार नहीं मिलने के कारण कई घायलों ने दम तोड़ दिया।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
घटना के बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने घटनास्थल का दौरा किया। डीएम आशीष कुमार मौके पर पहुंच गए, लेकिन हाथरस से चिकित्सक और स्टाफ समय पर नहीं पहुंच सके। डीएम ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और नाराजगी जताई। सीएमओ ने बताया कि चिकित्सक निकल चुके हैं, लेकिन वे दो घंटे तक मौके पर नहीं पहुंच पाए।
जांच समिति का गठन
मंडलायुक्त अलीगढ़ चैत्रा वी की अगुवाई में जांच समिति गठित की गई है, जिसे 24 घंटे के भीतर अपनी रिपोर्ट देनी है। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि इस कार्यक्रम में 20 हजार लोगों के शामिल होने की अनुमति मांगी गई थी, लेकिन इसमें 50 हजार से अधिक लोग शामिल हुए थे।
दुर्घटना के कारण
हादसे के समय सत्संग समाप्त हो गया था और भीड़ अपने वाहनों की ओर जा रही थी। स्वयंसेवकों ने भोले बाबा के वाहनों के काफिले को निकालने के लिए भीड़ को रोका, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। महिलाओं के बेहोश होकर गिरने और भीड़ के अनियंत्रित हो जाने से भगदड़ मच गई। बाबा के स्वयंसेवकों ने लाठी-डंडों से भीड़ को धकियाकर रोकने की कोशिश की, लेकिन इससे स्थिति और बिगड़ गई।
समापन
इस दर्दनाक हादसे ने सत्संग स्थल को श्मशान घाट में तब्दील कर दिया। यह घटना प्रशासनिक और चिकित्सा व्यवस्था की कमियों को भी उजागर करती है। अब सबकी निगाहें जांच समिति की रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो हादसे के कारणों का पता लगाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के उपाय सुझाएगी।
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