क्या नीतीश कुमार फिर से पलटी मारेंगे? भाजपा-जदयू के बीच संभावित तनाव और बिहार की राजनीति में उथल-पुथल
बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार एक बार फिर से चर्चा में हैं। क्या नीतीश कुमार भाजपा से नाराज होकर फिर से कोई बड़ा राजनीतिक कदम उठाने वाले हैं? यह सवाल बिहार की सियासत में गहराई से उभर रहा है, खासकर तब जब भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के बिहार दौरे की खबरें सामने आ रही हैं।
पिछले कुछ समय से भाजपा और जदयू के बीच कई मुद्दों पर असहमति की खबरें आ रही हैं, जिससे बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। राजनीतिक गलियारों में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार एक बार फिर से अपनी पुरानी रणनीति को दोहरा सकते हैं और भाजपा से अलग हो सकते हैं।
बिहार में भाजपा-जदयू गठबंधन में खटास?
बिहार में भाजपा और जदयू के बीच संबंधों में तनाव के कई संकेत मिल रहे हैं। कई महत्वपूर्ण सरकारी कार्यक्रमों में जदयू और भाजपा के नेता एक-दूसरे के साथ नज़र नहीं आए, जिसने इन दोनों पार्टियों के बीच मतभेदों की अटकलों को और मजबूत किया।
हाल ही में हुए भाजपा के कार्यक्रमों में नीतीश कुमार और जदयू के अन्य नेताओं की गैरमौजूदगी ने इन अटकलों को और हवा दी है। वहीं, मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई समीक्षा बैठक में भी भाजपा के कई नेताओं ने भाग नहीं लिया। ये घटनाएं यह संकेत देती हैं कि एनडीए के भीतर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
नीतीश कुमार के खिलाफ भाजपा की साजिश?
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि भाजपा नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाने की योजना बना रही है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा नीतीश कुमार के खिलाफ एक चक्रव्यूह तैयार कर रही है, ताकि उन्हें सत्ता से बेदखल किया जा सके।
राजद (राष्ट्रीय जनता दल) और कांग्रेस जैसी विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने भी इस मुद्दे पर टिप्पणी की है। राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि भाजपा और जदयू के बीच मतभेद अब खुलकर सामने आ रहे हैं और यह बिहार की राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत है। वहीं, कांग्रेस नेता प्रेमचंद मिश्रा ने भी कहा कि बिहार में एनडीए के भीतर सब कुछ सही नहीं चल रहा है।
क्या भाजपा नीतीश कुमार को सत्ता से बेदखल कर सकती है?
भाजपा के बिहार प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने इस मामले पर कहा कि एनडीए एक चट्टान की तरह मजबूत है और उनके बीच किसी तरह का मतभेद नहीं है। उनका कहना है कि राजद और अन्य विपक्षी दल इस तरह की अफवाहों के जरिए ख्याली पुलाव पका रहे हैं। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा नीतीश कुमार को सत्ता से हटाने की योजना पर काम कर रही है।
राजद के आरोपों के जवाब में, जदयू नेता नीरज कुमार ने कहा कि राजद को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि उनके ही नेता भाजपा की अंदरूनी बातों को कैसे जानते हैं।
नीतीश कुमार की राजनीतिक शैली और अतीत के अनुभव
नीतीश कुमार के राजनीतिक करियर में एक खास बात रही है कि वे अक्सर अप्रत्याशित निर्णय लेते हैं। 2020 में नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ गठबंधन किया था, जबकि 2015 के चुनावों में उन्होंने भाजपा के खिलाफ महागठबंधन का नेतृत्व किया था। नीतीश कुमार ने उस समय राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था।
लेकिन 2017 में, नीतीश कुमार ने अचानक महागठबंधन से नाता तोड़ते हुए फिर से भाजपा का हाथ थाम लिया। यह पलटी उनके राजनीतिक करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इससे पहले भी उन्होंने ऐसे कई फैसले लिए हैं जो राजनीति में अप्रत्याशित माने जाते हैं।
भाजपा की रणनीति और नीतीश कुमार का भविष्य
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के बिहार दौरे ने इन अटकलों को और तेज कर दिया है। नड्डा के दौरे का मुख्य उद्देश्य क्या है? क्या यह नीतीश कुमार के खिलाफ भाजपा की रणनीति का हिस्सा है, या फिर भाजपा अपने गठबंधन को मजबूत करने की कोशिश कर रही है?
नीतीश कुमार को सत्ता से बेदखल करने की योजना पर काम कर रही भाजपा, अगर ऐसा करती है, तो बिहार की राजनीति में बड़ा उथल-पुथल हो सकता है। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार इस बार क्या निर्णय लेते हैं। क्या वह फिर से भाजपा के खिलाफ जाएंगे, या फिर भाजपा के साथ अपने गठबंधन को बनाए रखेंगे?
बिहार की राजनीतिक स्थिति
बिहार में चुनावी हलचल अभी शुरू नहीं हुई है, लेकिन जिस तरह से राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं, उससे यह साफ है कि अगले कुछ महीनों में स्थिति और भी दिलचस्प हो सकती है। भाजपा और जदयू के बीच चल रहे इन मतभेदों का असर राज्य की राजनीति पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
बिहार में राजनीति कभी स्थिर नहीं रहती। यहां की राजनीति में हर समय नए समीकरण बनते और बिगड़ते रहते हैं। नीतीश कुमार और भाजपा के बीच मतभेद के बाद, राज्य में राजनीतिक गहमागहमी बढ़ गई है। नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार का भविष्य अब सवालों के घेरे में है।
बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार की भूमिका हमेशा से ही अप्रत्याशित रही है। उनके राजनीतिक करियर में कई बार उन्होंने ऐसे कदम उठाए हैं, जो न सिर्फ उनके विरोधियों, बल्कि उनके सहयोगियों को भी चौंकाने वाले रहे हैं।
बिहार की जनता और राजनीतिक विश्लेषक अब इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि नीतीश कुमार आने वाले दिनों में क्या फैसला लेंगे। क्या वह भाजपा से नाता तोड़कर फिर से अपनी पुरानी राह पर लौटेंगे, या फिर भाजपा के साथ अपने संबंधों को सुधारने की कोशिश करेंगे?
जो भी हो, बिहार की राजनीति में अगले कुछ महीनों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।