Saturday, December 21, 2024
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किसान नेता भानु प्रताप सिंह को नजरबंद किया गया: किसान महापंचायत में जाने से रोका गया

उत्तर प्रदेश के एटा जिले में किसान महापंचायत में शामिल होने के लिए तैयार किसान नेता भानु प्रताप सिंह को पुलिस ने उनके घर में नजरबंद कर दिया। यह घटना किसानों के अधिकारों और उनके आंदोलन पर प्रशासन की कड़ी निगरानी को दर्शाती है। नोएडा के पॉइंट जीरो पर होने वाली इस किसान महापंचायत के महत्व और प्रशासनिक कार्रवाई ने किसानों के आंदोलन को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।


सुबह-सुबह नजरबंद किए गए किसान नेता

किसान नेता भानु प्रताप सिंह, जो जलेसर थाना क्षेत्र के नगला सुखदेव स्थित अपने निजी आवास पर थे, को सुबह करीब चार बजे पुलिस ने नजरबंद कर दिया। जलेसर थाना प्रभारी सुधीर कुमार सिंह राघव भारी पुलिस बल के साथ उनके घर पहुंचे और उन्हें महापंचायत में जाने से रोकने का प्रयास किया।

पुलिस अधिकारियों ने भानु प्रताप सिंह को समझाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने नोएडा जाने की अपनी जिद नहीं छोड़ी। इसके बाद, एटा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्याम नारायण सिंह ने भी उनसे फोन पर वार्ता की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

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महापंचायत का उद्देश्य और प्रशासन का रुख

नोएडा और ग्रेटर नोएडा के पॉइंट जीरो पर होने वाली किसान महापंचायत का उद्देश्य किसानों की समस्याओं और उनके अधिकारों को लेकर चर्चा करना था। लेकिन, प्रशासन ने इस महापंचायत को लेकर सख्त रुख अपनाया और इसे कानून-व्यवस्था का मुद्दा बताया।

पुलिस का कहना है कि यह कदम क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए उठाया गया है। हालांकि, किसान इसे उनके लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन के रूप में देख रहे हैं।


किसानों का संघर्ष और सवाल

किसान नेता भानु प्रताप सिंह और उनके समर्थकों का कहना है कि सरकार और प्रशासन किसानों की आवाज को दबाने का प्रयास कर रहे हैं। उनका दावा है कि किसानों के लिए इस तरह की महापंचायतें न केवल उनकी समस्याओं को उजागर करती हैं, बल्कि उनके अधिकारों की लड़ाई में एक अहम भूमिका निभाती हैं।


निष्कर्ष

भानु प्रताप सिंह को नजरबंद करने की घटना यह दर्शाती है कि किसानों और प्रशासन के बीच संघर्ष कितना गहरा हो चुका है। यह केवल एक व्यक्ति की बात नहीं है, बल्कि पूरे किसान समुदाय की आवाज को दबाने की कोशिश के रूप में देखा जा सकता है। प्रशासन की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि किसानों के आंदोलन को लेकर सरकार कितनी सतर्क है।

आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस तरह की घटनाएं किसानों के आंदोलन और उनके भविष्य पर कैसा प्रभाव डालती हैं।

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