Thursday, September 19, 2024

SEASON 1

Episode 1

फिल्म “अजमेर 92” की रिलीज के साथ, अजमेर में 1992 के ब्लैकमेलिंग और रेप स्कैंडल के बारे में फिर से चर्चा शुरू हो गई है। यह घटना देश के सबसे बड़े रेप स्कैंडल्स में से एक है, जिसमें लगभग 250 लड़कियों को उनके आपत्तिजनक फोटो और वीडियो से ब्लैकमेल करके महीनों तक रेप किया गया। इस घिनौने कांड में अजमेर के रसूखदार लोग शामिल थे।

कैसे हुआ स्कैंडल का खुलासा:

1992 में दैनिक नवज्योति के रिपोर्टर संतोष गुप्ता ने इस स्कैंडल की पहली खबर छापी थी, लेकिन शुरुआत में उस खबर पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। बाद में, उन्होंने यह खबर चीफ एडिटर दीनबंधु चौधरी को दी। संतोष गुप्ता ने बताया कि उन्हें अनाज मंडी की एक लैब से लड़कियों के रेप वीडियोज और फोटोज मिले थे। इसके बाद, दीनबंधु चौधरी ने निर्णय लिया कि इन तस्वीरों को प्रकाशित किया जाएगा, लेकिन तस्वीरों के प्राइवेट पार्ट्स को काली पट्टी से ढका जाएगा। जब यह खबर प्रकाशित हुई, तो पूरे शहर में हंगामा मच गया और कानूनी कार्रवाई की मांग की गई।

स्कैंडल की शुरुआत:

इस स्कैंडल की शुरुआत 1990 से हुई थी। अजमेर में एक नामी कॉलेज के बाहर से एक लड़की रोते हुए जा रही थी। कुछ रसूखदार लड़कों ने उसकी मदद के बहाने उसे फार्म हाउस ले जाकर उसके साथ रेप किया। इसके बाद उन्होंने उसका वीडियो और फोटो लेकर उसे ब्लैकमेल किया। यही प्रक्रिया अन्य लड़कियों के साथ भी दोहराई गई।

खबर पब्लिश करने पर धमकियां:

दीनबंधु चौधरी को इस खबर को पब्लिश करने पर जान से मारने की धमकियां मिलने लगीं। राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत ने उन्हें इस मामले में सावधानी बरतने की सलाह दी और उनके घर के बाहर सुरक्षा भी तैनात कर दी गई।

जांच और आरोपियों की गिरफ्तारी:

पहली लड़की के रेप के बाद यह स्कैंडल तेजी से बढ़ा और इसमें कई स्कूल और कॉलेज की लड़कियां शिकार बनीं। पहली लड़की के रेप के बाद और लड़कियों को ब्लैकमेल करके उनके साथ रेप किया गया। जांच के बाद अजमेर शहर के कई रसूखदारों के नाम सामने आए, जिनमें अजमेर यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष फारूक चिश्ती, नफीस चिश्ती, और अनवर चिश्ती शामिल थे।

आरोपियों का हाल:

इस केस में शामिल कुछ आरोपी जमानत पर बाहर आए और कुछ ने आत्महत्या कर ली। फारूक चिश्ती को मानसिक रोगी घोषित कर दिया गया और बाद में उसे सजा पूरी करने के बाद बरी कर दिया गया।

फिल्म “अजमेर 92” के विवाद:

फिल्म “अजमेर 92” की रिलीज को लेकर मुस्लिम समाज और अजमेर शरीफ दरगाह कमेटी ने आपत्ति जताई है। उनका आरोप है कि फिल्म के माध्यम से एक ही कम्युनिटी के लोगों को टारगेट किया गया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर फिल्म से दरगाह की इमेज को नुकसान पहुंचता है, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

निष्कर्ष:

अजमेर 92 का ब्लैकमेलिंग कांड भारतीय समाज के लिए एक काला धब्बा है, जो दिखाता है कि कैसे रसूखदार लोग अपनी पावर का दुरुपयोग करके मासूम लड़कियों की जिंदगी बर्बाद करते हैं। इस घटना ने भारतीय न्याय प्रणाली और समाज की नैतिकता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments