राहुल गांधी के संभल दौरे ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। इस दौरे से पहले कांग्रेस नेताओं को प्रशासन के कड़े रुख का सामना करना पड़ा, जिसमें कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा ‘मोना’ को हाउस अरेस्ट कर लिया गया। यह घटनाक्रम कांग्रेस की बढ़ती सक्रियता और प्रशासन के रवैये पर बड़े सवाल खड़े करता है।
आराधना मिश्रा को हाउस अरेस्ट किया गया
आराधना मिश्रा को बुधवार सुबह 9:30 बजे संभल के लिए रवाना होना था, लेकिन पुलिस ने उनके घर के बाहर सुरक्षा बल तैनात कर उन्हें रोक दिया। पुलिस-प्रशासन ने इसे कानून-व्यवस्था बनाए रखने का कदम बताया, जबकि कांग्रेस ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन करार दिया। इससे पहले, सोमवार को भी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और अन्य नेताओं को संभल जाने से रोका गया था।
राहुल गांधी के साथ कांग्रेस नेताओं की तैयारियां
राहुल गांधी के इस दौरे को सफल बनाने के लिए कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता, जैसे प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और संगठन महासचिव अनिल यादव, पूरी तरह तैयार थे। अजय राय ने प्रशासन की कार्रवाई पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यदि उन्हें रोका गया, तो वे रास्ते में ही धरना-प्रदर्शन करेंगे। यह कदम दर्शाता है कि कांग्रेस राज्य में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
कांग्रेस और प्रशासन के बीच टकराव
पुलिस-प्रशासन का कहना है कि यह कदम कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाया गया, लेकिन कांग्रेस इसे सत्तारूढ़ दल द्वारा विपक्ष को दबाने की कोशिश के रूप में देख रही है। सोमवार को भी अजय राय और अन्य नेताओं को लखनऊ के कांग्रेस मुख्यालय में हाउस अरेस्ट किया गया था। इसके अलावा, कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर ईको गार्डन भेजा गया था।
संभल दौरे का राजनीतिक महत्व
राहुल गांधी का यह दौरा केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की राजनीतिक स्थिति को पुनर्जीवित करने का एक बड़ा प्रयास है। कांग्रेस का मानना है कि इस दौरे के माध्यम से वे जनता के मुद्दों को प्रमुखता से उठा सकते हैं। राहुल गांधी का यह सक्रिय रुख कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
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सत्ता और विपक्ष के बीच टकराव
राहुल गांधी के दौरे से पहले हुई पुलिस कार्रवाई और कांग्रेस नेताओं को रोकने की कोशिशें यह सवाल खड़ा
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