1 साल में 80 हजार नए वोटर कहाँ से अ गये , जिनमें 70 हजार मुस्लिम: यह मामला मंगलदोई की याद दिलाता है यह बदलाव, असम के CM की चेतावनी क्यों है महत्वपूर्ण?
मंगलदोई की कहानी: 1977 से अब तक
पृष्ठभूमि: 1977 का चुनाव
इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में जनता पार्टी ने 14 में से 3 सीटें जीतीं।
इनमें एक सीट मंगलदोई की थी, जिसे हीरा लाल (तिवारी) ने जीता था।
उस समय मंगलदोई में 5,60,297 मतदाता थे।
वोटर संख्या में अचानक वृद्धि
हीरा लाल के निधन के बाद उपचुनाव कराया गया और मतदाता सूची अपडेट की गई।
एक साल के भीतर मतदाताओं की संख्या में 80,000 की वृद्धि हो गई।
इनमें से लगभग 70,000 मतदाता मुस्लिम थे।
अजीत झा की रिपोर्ट: ‘द लास्ट बैटल ऑफ सरायघाट’
किताब में इस घुसपैठ की जानकारी दी गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, 15% की यह वृद्धि कॉन्ग्रेस द्वारा इलाके में लोगों को इंपोर्ट करने से हुई थी।
70,000 में से केवल 26,900 ही टिक पाए थे, बाकी अवैध घुसपैठिए साबित हुए।
2024 तक हालात का बिगड़ना
1977 से 2024 के बीच हालात और भी भयावह हो गए हैं।
असम के मुख्यमंत्री इस्लामी कट्टरपंथ और बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ सक्रिय हैं।
न्यूज चैनल से बातचीत में उन्होंने राज्य की स्थिति को स्वीकार किया।
भविष्य की चिंता: असम और बंगाल की स्थिति
2044 तक असम मुस्लिम बहुल राज्य बनने का अनुमान है।
बंगाल 2051 तक मुस्लिम बहुल हो जाएगा।
मुख्यमंत्री सरमा की चिंता
असम में हिंदू आबादी के मुकाबले मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही है।
20 साल बाद राज्य की कुल आबादी में मुसलमानों की संख्या 50 फीसदी हो जाएगी।
असम जम्मू-कश्मीर के बाद देश में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला दूसरा राज्य बन जाएगा।
जनसांख्यिकी बदलाव का महत्व
मुख्यमंत्री सरमा इसे राजनैतिक मुद्दा नहीं, जीवन और मृत्यु का मामला बताते हैं।
हिंदू बहुल इलाके धीरे-धीरे मुस्लिम बहुल हो रहे हैं।
बांग्लादेश और पड़ोसी देशों से आए प्रवासियों के कारण संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है, जो असम की मूल जनता के लिए होना चाहिए।