हाथरस के अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या एक महेंद्र श्रीवास्तव के न्यायालय में दहेज हत्या के एक मामले में आरोपी पति संजय यादव को दोषी करार देते हुए सात साल की कैद की सजा सुनाई गई है और 50 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है। अर्थदंड न देने पर दोषी को अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
इस मामले में भगवान सिंह ने थाना सहपऊ में तहरीर दी थी कि उनकी बेटी सीमा की शादी 7 जुलाई 2016 को संजय यादव के साथ हुई थी। शादी के बाद से ही ससुराल पक्ष के लोग चार पहिया गाड़ी की मांग कर रहे थे और उनकी बेटी का उत्पीड़न कर रहे थे। उनकी बेटी 10 माह तक अपने मायके में रही और वहाँ एक बेटी को जन्म दिया। इसके बाद उसकी ससुराल वालों ने उसे वापस ले जाकर 23 अगस्त 2018 को उसकी हत्या कर दी।
इस मामले में पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया और मुकदमा विचारण के दौरान आरोपी चंद्रपाल की मृत्यु हो जाने के कारण उनके विरुद्ध कार्यवाही समाप्त कर दी गई। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करने वाले एडीजीसी शिवेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के बाद संजय यादव को दोषी करार दिया और उसे सजा सुनाई।
घटना का विवरण
भगवान सिंह ने थाना सहपऊ में अपनी बेटी सीमा की दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। भगवान सिंह ने अपनी शिकायत में बताया कि उन्होंने अपनी बेटी सीमा की शादी 7 जुलाई 2016 को संजय यादव के साथ की थी। संजय यादव, चंद्रपाल के बेटे हैं और नगला बैनी, थाना सहपऊ, जिला हाथरस के निवासी हैं। भगवान सिंह ने अपनी बेटी की शादी में करीब 10 लाख रुपये खर्च किए थे।
शादी के कुछ दिनों बाद ही, संजय यादव और उनके परिवार के लोग चार पहिया गाड़ी की मांग करने लगे और सीमा को बार-बार मारपीट और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। सीमा लगभग 10 महीने तक अपने मायके में रही, जहाँ उसने एक बेटी को जन्म दिया।
घटना का विवरण और आरोप
लगभग नौ महीने बाद, ससुराल वालों ने सीमा को वापस अपने घर ले गया। 23 अगस्त 2018 को, लगभग शाम तीन बजे, संजय यादव, उनके पिता चंद्रपाल, और उनकी माँ अनोखी देवी ने मिलकर सीमा की हत्या कर दी। इस घटना के बाद, भगवान सिंह ने थाना सहपऊ में मामला दर्ज कराया।
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने इस मामले में विवेचना (जांच) करते हुए सभी तथ्यों को इकट्ठा किया और अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। मुकदमा विचारण के दौरान, आरोपी चंद्रपाल की मृत्यु हो गई, जिसके चलते उनके विरुद्ध कार्यवाही समाप्त कर दी गई। अदालत ने अन्य आरोपियों के विरुद्ध सुनवाई जारी रखी।
न्यायालय का निर्णय
अपर सत्र न्यायाधीश महेंद्र श्रीवास्तव के न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के बाद संजय यादव को दोषी करार दिया। अदालत ने संजय यादव को दहेज हत्या के लिए सात साल की कैद की सजा सुनाई और 50 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया। अर्थदंड न देने की स्थिति में, संजय यादव को अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
अभियोजन पक्ष की भूमिका
इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी शिवेंद्र सिंह चौहान ने पैरवी की। उन्होंने बताया कि विवेचना अधिकारी ने सभी सबूतों को एकत्र कर न्यायालय में पेश किया, जिसके आधार पर अदालत ने संजय यादव को दोषी करार दिया।
समाज में संदेश
यह फैसला समाज में एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि दहेज के लिए उत्पीड़न और हत्या जैसे अपराधों को सहन नहीं किया जाएगा और दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी। यह घटना एक उदाहरण है कि कानून का पालन कैसे होना चाहिए और न्यायिक प्रक्रिया किस प्रकार दोषियों को उनके अपराधों की सजा देती है।
दहेज प्रथा का विरोध
दहेज प्रथा भारतीय समाज में एक गंभीर समस्या है। यह प्रथा महिलाओं के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न का एक प्रमुख कारण है। इस तरह के न्यायिक निर्णय दहेज प्रथा के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम होते हैं। यह न केवल पीड़िता के परिवार को न्याय दिलाता है बल्कि समाज को भी एक स्पष्ट संदेश देता है कि इस तरह की प्रथाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अंत में
यह मामला न केवल न्याय का उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे कानून और न्यायपालिका मिलकर समाज में अन्याय के खिलाफ लड़ सकते हैं। हमें उम्मीद है कि इस तरह के फैसले समाज में दहेज प्रथा के खिलाफ जागरूकता बढ़ाएंगे और इसे समाप्त करने में मदद करेंगे। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस प्रकार की प्रथाओं का विरोध करें और अपने समाज को अधिक न्यायपूर्ण और समतामूलक बनाएं।