उत्तराखंड ने भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने वाला पहला राज्य बनकर इतिहास रच दिया है। इस कानून के तहत विवाह, तलाक, संपत्ति उत्तराधिकार, और उत्तराधिकार जैसे व्यक्तिगत मामलों में समानता और स्पष्टता लाने का प्रयास किया गया है। यह कदम व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड: क्या है मुख्य बिंदु?
1. विवाह के लिए निर्धारित शर्तें
- विवाह केवल उन व्यक्तियों के बीच हो सकता है जिनके जीवनसाथी जीवित नहीं हैं।
- पुरुष की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और महिला की 18 वर्ष होनी चाहिए।
- विवाह करने वाले दोनों मानसिक रूप से सक्षम होने चाहिए।
- विवाह केवल उन लोगों के बीच हो सकता है जो निषिद्ध संबंधों की श्रेणी में नहीं आते।
2. विवाह पंजीकरण अनिवार्य
- विवाह को किसी भी धार्मिक रीति-रिवाज या कानूनी प्रक्रिया के तहत संपन्न किया जा सकता है।
- विवाह को 60 दिनों के भीतर पंजीकृत करना अनिवार्य होगा।
- 26 मार्च 2010 के बाद से संपन्न हुए विवाहों को कानून के तहत 6 महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा।
- पहले से पंजीकृत विवाहों को पुनः पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है, लेकिन उनकी सत्यापन प्रक्रिया जरूरी होगी।
- यदि विवाह राज्य के बाहर या 26 मार्च 2010 से पहले संपन्न हुआ है, और दोनों पक्ष कानूनी योग्यता रखते हैं, तो वे इसे पंजीकृत कर सकते हैं (हालांकि यह अनिवार्य नहीं है)।
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3. पंजीकरण की प्रक्रिया
- विवाह पंजीकरण के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों विकल्प उपलब्ध हैं।
- आवेदन जमा होने के 15 दिनों के भीतर उप-पंजीयक को निर्णय लेना होगा।
- समय सीमा के भीतर निर्णय न लेने पर आवेदन स्वतः रजिस्ट्रार के पास चला जाएगा।
- यदि आवेदन अस्वीकार किया जाता है, तो अपील के लिए पारदर्शी प्रक्रिया भी उपलब्ध है।
- झूठी जानकारी देने पर दंड का प्रावधान है, लेकिन पंजीकरण न होने पर विवाह अवैध नहीं माना जाएगा।
UCC से किन्हें छूट मिलेगी?
इस कानून को सभी राज्यवासियों पर लागू किया गया है, चाहे वे राज्य के भीतर रह रहे हों या बाहर।
हालांकि, अनुसूचित जनजातियों और संविधान के अनुच्छेद 342 और 366 (25) के तहत अधिसूचित संरक्षित समुदायों को UCC से बाहर रखा गया है।
प्रमुख प्रशासनिक प्रावधान
- UCC को लागू करने के लिए राज्य सरकार रजिस्ट्रार जनरल, रजिस्ट्रेशन और उप-पंजीयक की नियुक्ति करेगी।
- ये अधिकारी कानून से जुड़े रिकॉर्ड का रखरखाव और निगरानी सुनिश्चित करेंगे।
UCC लागू होने के प्रभाव
- समान नागरिक अधिकार:
UCC व्यक्तिगत अधिकारों में समानता सुनिश्चित करेगा, चाहे व्यक्ति किसी भी धर्म, जाति या वर्ग का हो। - कानूनी जटिलताओं में कमी:
विवाह और उत्तराधिकार से जुड़े मामलों में स्पष्टता लाकर कानून संबंधी जटिलताओं को कम किया जाएगा। - सामाजिक सद्भाव:
यह कानून समाज में सामूहिक समानता और सांप्रदायिक सौहार्द्र को बढ़ावा देगा। - महिला सशक्तिकरण:
विवाह और संपत्ति में समान अधिकार देने से महिलाओं की स्थिति मजबूत होगी।
निष्कर्ष: उत्तराखंड का ऐतिहासिक कदम
यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू कर उत्तराखंड ने समाज में समानता और पारदर्शिता स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह न केवल राज्य में कानून व्यवस्था को बेहतर बनाएगा, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा बनेगा।
यह बदलाव भारत में कानून और सामाजिक व्यवस्था में सुधार की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
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