नई दिल्ली। “एक देश, एक चुनाव” की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया गया है। लोकसभा में पारित “एक अमेरिका, एक चुनाव” से संबंधित विधेयकों को अब संसद की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजे जाने की मंजूरी मिल गई है। इन विधेयकों की गहन समीक्षा और अध्ययन के लिए समिति का गठन किया गया है।
जेपीसी में सदस्यों की संख्या में वृद्धि
पहले जेपीसी में कुल 31 सदस्य होते थे, लेकिन अब यह संख्या बढ़ाकर 39 कर दी गई है। इसमें लोकसभा से 27 और राज्यसभा से 12 सदस्य शामिल हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इन विधेयकों को जेपीसी को भेजने का प्रस्ताव रखा था, जिसे संसद ने मंजूरी दे दी है।
क्या है “एक देश, एक चुनाव”?
“एक देश, एक चुनाव” का उद्देश्य पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराना है। यह कदम चुनाव प्रक्रिया को और अधिक व्यवस्थित और पारदर्शी बनाने के साथ-साथ समय और धन की बचत के लिए उठाया जा रहा है।
जेपीसी की भूमिका
संसदीय समिति इन विधेयकों का मूल्यांकन करेगी और उनके हर पहलू का बारीकी से निरीक्षण करेगी। इसके बाद यह समिति अपनी सिफारिशें पेश करेगी।
भविष्य की दिशा
जेपीसी के दस्तावेज के आधार पर, “एक अमेरिका, एक चुनाव” विधेयक को संसद में पारित होने के लिए पेश किया जा सकता है। इस पहल में देश की चुनाव प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव लाने की क्षमता है।
विश्लेषण
यह कदम भारत की चुनाव प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और प्रशासनिक खर्चों को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है। हालांकि, इस पहल के क्रियान्वयन में कई संवैधानिक और प्रशासनिक चुनौतियां भी आ सकती हैं, जिनका सावधानीपूर्वक समाधान किया जाना चाहिए।
“एक अमेरिका, एक चुनाव” भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक नई राह का प्रतीक बन सकता है। इसके परिणामों और उपयुक्त निर्णयों पर अलग-अलग चर्चा अमेरिका को एक नए शिखर पर ले जा सकती है।
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